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इस मज़बूरी कहे या इस बच्चे की अपने पिता के प्रति सच्ची श्रद्धा जो बड़े ही निस्वार्थ भाव से अपने इस बीमार पिता को इलाज के लिए निकट के किसी हॉस्पिटल में ले जा रहा है …
जिस बच्चे को दुनिया के तौर तारिके से अभी अपना बचपन हस्ते खेलते गुजारना चाहिए वही बच्चा अपने पिता को इलाज के लिए , उनके अच्छे स्वास्थ के लिए उनके दुखो को भी अपना दुःख समझ लिया है और उन्हें किसी अच्छे डाक्टर को देखने के लिए उन्हें अपने इस ट्राली पे बैठा के ले जाता ये संस्कारी बालक .
इस बालक की उम्र अभी १२ से १३ साल ही लगभग होगी और इसने समाज को एक ऐसा उदाहरण पेश कर दिया जो निश्चय ही पित्रसेवा लिया एक मिशाल है . इस नन्ही से उम्र में पिता की मजबूरियों को समझते हुए अपनी सेवा का कर्तब्य करता हुआ ये बालक जो भले ही सुविधाओं से लाचार हो पर हौशलो में उसके एक नया जोश देखा है ……. जो भले ही मज़बूरी से जन्म लिया हो………..
यह इमेज मैं अपने नोकिया मोबाइल २७०० क्लास्सिक से इस ठंडक(Dec 29, २०१०) को अपने कालेज ईसीसी के पास लिया था .. यह जानकर की आज भी श्रवण का अंशावतार इस धरा पे है………….
अमरेश बहादुर सिंह
(Amresh Bahadur Singh)
सैर करे मेराघुमक्कड़शास्त्र.ब्लागस्पाट.कॉम
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