Amargyan
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देखो इन गलियों उन चौराहों को
देखो उनको जिनके तन पर वस्त्र नहीं
सर पर जिनके छाया का आश्रय नहीं
शायद ही मिटा पाते हो दो वक्त की भूख
गम सहते भूखे रहते फिर भी मिलता बदसलूकी
क्या यही है हमारा स्वर्णिम हिंदुस्तान ||
महगाई बढ़ती और बढ़ती बेरोजगारी ….
अशिक्षा फैले और पंवा पसारे रोग ,
चोरी,डकैती ,हत्या और बलात्कार …
ये होते दिन दूना रात चौगुना ,
क्या यही है हमारा स्वर्णिम हिंदुस्तान ||
राजनीति में सत्ता रहे कायम ,
दंगा फसाद और आतंक की जलती रहे मशाल …
मासूम हो या अबला चीखते रहे चलाते रहे ….
क्या यही है हमारा स्वर्णिम हिंदुस्तान ||
क्या यही है हमारा स्वर्णिम हिंदुस्तान ||
…….अमरेश बहादुर सिंह …..
सैर करे मेरा घुमक्कड़ शास्त्र . ब्लॉग स्पोट .कॉम
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