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कांटेस्ट- तो फिर क्यो भूल रहे है हिन्दी को ????

Amargyan
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हिन्दी बाजार की भाषा है, गर्व की नहीं’ या ‘हिंदी गरीबों, अनपढ़ों की भाषा बनकर रह गई है…

चंद रुपये और चार लाइन इंग्लिश में जान लेने से … चार लोगो में अपना धाक जमा ले से ,
आप इंग्लिश में महारथी नहीं हो जाते .. यदि हो भी जाते हो तो आप को गर्व करना चाहिए की आप को मात्रभाषा के अलावा और भी भाषा का ज्ञान है !
अगर मात्रभाषा का ही ज्ञान नहीं है तो आप अपने ही लोगो अपने ही समुदाय के लोगो के बीच शर्म करना चाहिए या आप इस बात पे गैर करेंगे की उन लोगो के बीच कौन हिंदी भाषा में अनपढ़ और गरीब है !!!

ये बात और है की आज सारे कामकाज में इंग्लिश को प्राथमिकता दी जा रही है … जो इंटरनेशनल लैंग्वेज के रूप में एक्सेप्ट किया जाता है ! फिर भी हमे अपने मात्रभाषा उपयोग करते रहना चाहिए . हर वर्ग , हर तबके , हर समुदय के लोगो के बीच का ये एक मात्र भाषा है …
आज भी लोगो को अपने मात्रभाषा से कितना लगाव है आप देख सकते है ….
बाबुल कुमार सिंह जी (जो जागरण जंक्शन के पंजीकृत रीडर है ) के शब्दों में … “हिंदी को बाज़ार की भाषा न कही जाये क्यूंकि ये हमारी मात्रभाषा है, और हमें अपनी भाषा पर गर्व है, हा मई इस बात से सहमत हूँ की हिंदी अब गरीबो की भाषा बनकर रह गयी है, क्यूंकि अमिर लोग अपनी अमीरी दिखाने के लिए हिंदी का कुछ सब्द बोलते है वो बड़े कष्ट से बोल पते है.”
Vinod Kumar Raj (जो जागरण जंक्शन के पंजीकृत रीडर है ) के द्वारा बहुत ही सही तरह से अपनी बात प्रस्तुत किया ….
हिन्दी बोलने मे लोगो को शर्म आती है ,अपनी मा को मा कहने मे लोगो को शर्म आती है,कितनी फितरत कि बात है।यदी मार्केट मे अपनी बहन के साथ घुम रहे है तो ,अपनी बहन को बहन कहने मे शर्म आयेगी तो क्या बहन को गर्लर्फेन्ड कहेगे। यदि हा तो आप असली हिन्दू नही है। सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम है । यदि नही तो फिर क्यो भूल रहे है हिन्दी को।

अब आप को कैसे बताया बताया जाये की हिंदी भाषा गर्व की भाषा है जिसने अपने प्रभव से सदियों से लोगो को एक सूत्र में बाधं के रखने में सछम है . आज भी देखा जाये तो देश का ८०% लोगो हिंदी भाषा में बोलने ,समझाने या लिखने में सछम है .
तो ऐसे मात्रभाषा को हम गरीबो या अनपढ़ों की भाषा कह कर मजाक नहीं उड़ रहे है ..
क्या हम ऐसे मात्रभाषा का घोर अपमान नहीं कर रहे है ???? ….. जिसने हमे एक मात्र सहारा दिया है की गावं – गावं के , हर उम्र हर तबके के लोगो को एक साथ जुड़ कर अपनापन का एहसास दिलाया ????

हमे अपने मात्रभाषा पे गर्व है . और मैं इसका बहुत बड़ा आभारी हू.

अमरेश बहादुर सिंह
(Application Developer )

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